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डाक्टरों के अभाव में कराह रहे अस्पताल

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चिकित्सकों की कमी से सिंहपुर क्षेत्र की चिकित्सा व्यवस्था कराह रही है।कहने को तो लगभग ढाई लाख की आबादी वाले विकास क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित पांच अस्पताल हैं जिसमें क्षेत्र के बड़ी आबादी वाले इन्हौना कस्बे मे स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और राजाफत्तेपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते कई माह से चिकित्सक नहीं हैं। दोनो स्वास्थ्य केंद्रों से एक लाख से अधिक की आबादी का स्वास्थ्य भगवान के सहारे है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फूला में कागज पर चिकित्सक की तैनाती है लेकिन चिकित्सक कभी आते नहीं कहने को तो सिंहपुर क्षेत्र में सिंहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित पांच चिकित्सालय हैं और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कहने के लिए तो तीन चिकित्सक तैनात है लेकिन परमानेंट सेवाएं प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डा सुनील चौधरी की ही मिल रही हैं। और इन्हौना, फत्ते पुर प्राथमिक चिकित्सालय विना चिकित्सक संचालित हो रहे हैं।वहीं फूला में चिकित्सक की तैनाती तो है लेकिन आते नहीं और सातन पुरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक भी निरंतर नहीं आते हैं।गौर करें तो पूरे सिंहपुर क्षेत्र की ढाई लाख की आबादी स्वास्थ्य के मामले में भगवान के सहारे है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र राजाफत्तेपुर तथा इन्हौना में जहां चिकित्सक ही नहीं हैं।वहीं बिना अधीक्षक के चल रहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिंहपुर में प्रभारी अधीक्षक डा सुनील चौधरी के साथ ही एक महिला चिकित्सक डा सीमा रानी गौतम की सप्ताह में चार दिन तैनाती है परंतु अधिकांश लोगों को यह पता नहीं है कि सिंहपुर में कोई महिला चिकित्सक भी तैनात है इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनमानस को महिला चिकित्सक की कितनी सेवाएं मिल रही हैं। और एक बीडीएस चिकित्सक डा अंजू की भी तैनाती है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला चिकित्सक की तैनाती सप्ताह में चार दिनों के लिए है। जबकि चार अन्य चिकित्सकों पद रिक्त हैं परंतु इन चिकित्सकों की तैनाती नहीं नही हो रही है।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिंहपुर में मात्र एक चिकित्सक डा सुनील कुमार चौधरी की ही सेवाएं मिलती हैं उनकी गैर मौजूदगी में आयुष के चिकित्सक मिल जाएं तो ठीक है अन्यथा कंपाउंडर एम पी सिंह की सेवाएं सर्व सुलभ हैं।

 

ढाई लाख की आबादी पर सिर्फ तीन चिकित्सक

जिसमे सेवा में निरंतर एक चिकित्सक है लेकिन वह अधिकांश विभागीय कार्यों और बैठकों में व्यस्त रहते हैं अस्पताल की ओपीडी पर गौर करें तो दो सौ से तीन सौ प्रतिदिन रोगियों को देखने का औसत है इससे यह तो तय है की रोगियों को दवाएं पर्याप्त मिलती हैं और वह अस्पताल से संतुष्ट होकर जाते हैं। लेकिन क्षेत्र के चार अन्य सरकारी अस्पतालों की दुर्व्यवस्था के चलते आम गरीब आदमी प्राइवेट चिकित्सालयों में लुटने को मजबूर है। सिंहपुर क्षेत्र की आबादी ढाई लाख से अधिक की है और पांच अस्पताल हैं इनमे से सातनपुरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर डा रईस अहमद तैनात हैं जो कभी कभार ही मिलते हैं। वहीं फूला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डा राजमणि वर्मा एम ओ सी एच की तैनाती है।लेकिन उनके भी दर्शन मरीजों से कम ही होते हैं। जबकि इन्हौना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जो बड़ा कस्बा भी है इस चिकित्सालय पर बीते तीन माह से कोई चिकित्सक नहीं है।प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र फत्तेपुर में भी कोई चिकित्सक नहीं है। राजापुर निवासी एवं भाजपा नेता सुजीत पांडेय बताते है कि एक समय था जब यहां डा लईक तैनात थे तो दो सौ से ढाई सौ की ओपीडी प्रतिदिन होती थी।क्षेत्रीय नागरिकों ने राज्य मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक मयंकेश्वर शरण सिंह से चिकित्सकों की तैनाती की मांग की है।

 

चिकित्सा राज्यमंत्री के क्षेत्र के स्वास्थ्य के हालात

इसे चिराग तले अंधेरा ही कहा जायेगा कि प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य राज्य मंत्री के गृह क्षेत्र के अस्पतालों में चिकित्सीय सुविधाओं का टोटा है। ये उनके अपने विधानसभा क्षेत्र का हाल है ,वो भी एक विकासखंड के हालात हैं I सूत्रों की माने तो अमेठी जिले का ही हालात अच्छे नहीं हैं I जिस जिले का जनप्रतिनिधि ही विभाग का मुखिया है I उस विभाग ये हालात इतने दयनीय है तो उपमुख्यमंत्री एवं चिकित्सा मंत्री बृजेश पाठक के दावों की पोल खोलने भर के लिए काफी है I

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