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वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार एवं समाजसेवी संजय सिन्हा महादेवी वर्मा पुरस्कार से सम्मानित

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भोपाल, मध्यप्रदेश I

साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश परिषद्, संस्कृति विभाग, भोपाल द्वारा पत्रकारिता जगत के चिर परिचित व्यक्तित्व के धनी संजय सिन्हा जी को उनकी कृति “शुक्रिया” के लिए “अखिल भारतीय महादेवी वर्मा पुरस्कार(2017)” से सम्मानित किया गया गया । आज यह पुरस्कार मध्य प्रदेश की राजधानी, भोपाल में आयोजित अलंकरण समारोह में मध्य प्रदेश शासन की संस्कृति और पर्यटन मन्त्री उषा ठाकुर जी द्वारा दिया गया । संजय सिन्हा देश के एक वरिष्ठ नामचीन पत्रकार और साहित्यकार हैं। अभी तक उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें 10 पुस्तकें – रिश्ते, उम्मीद, ज़िंदगी, समय, शुक्रिया, अंजोरा, सितारा, एक लड़की और इन्दिरा गाँधी, काश, 6.9 रिक्टर स्केल प्रकाशित हो चुकी हैं ।


भोपाल से कॉलेज की पढाई पूरी करने के तुरंत बाद 1988 में संजय सिन्हा का चयन तत्कालीन सर्वश्रेष्ठ हिंदी अख़बार जनसत्ता में हो गया। जहाँ उन्होंने 10 वर्षो से भी अधिक समय तक सेवा देने के पश्चात् इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का रुख किया और “ज़ी न्यूज़” में रिपोर्टर के रूप में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सफ़र शुरू किया । कुछ वर्ष अमेरिका में रिपोर्टर रहे। 16 वर्षों तक आज तक में कार्यकारी सम्पादक और तेज चैनल के हेड रहे।
संजय सिन्हा अपनी सामाजिक प्रतिबद्धताएं अपनी लेखनी के माध्यम से पूरी करते आये हैं। उन्होंने सोशल साइट फ़ेसबुक पर एक वृहद् परिवार बना रखा है जहाँ वे विगत 9 वर्षों से रोज़ एक नई कहानी के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन करते हैं। उनकी कई कहानियां स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल की गई हैं। संजय सिन्हा वो नामचीन हस्तियों में में हैं जिनका सोशल नेटवर्किंग पर सबसे बड़ा रिश्तों का परिवार #ssfbfamily #SanjaySinha शायद ही कहीं हो I जिसे हर सुबह एक कहानी सुनाते हैं I जिसे सुनने के लिए परिजनों में काफी उत्सुकता बनी रहती है I संजय सिन्हा ने जो रिश्तों की फैमिली तैयार किया है I इसका उदाहरण भारत ही नहीं पूरे विश्व में मिलना मुमकिन नहीं है I

संजय सिन्हा का पत्रकारिता का सफर

आजतक में बतौर संपादक कार्यरत संजय सिन्हा ने जनसत्ता से पत्रकारिता की शुरुआत की। दस वर्षों तक कलम-स्याही की पत्रकारिता से जुड़े रहने के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। कारगिल युद्ध में सैनिकों के साथ तोपों की धमक के बीच कैमरा उठाए हुए उन्हीं के साथ कदमताल। बिल क्लिंटन के पीछे-पीछे भारत और बँगलादेश की यात्रा। उड़ीसा में आए चक्रवाती तूफान में हजारों शवों के बीच जिंदगी ढूँढ़ने की कोशिश। सफर का सिलसिला कभी यूरोप के रंगों में रँगा तो कभी एशियाई देशों के। सबसे आहत करनेवाला सफर रहा गुजरात का, जहाँ धरती के कंपन ने जिंदगी की परिभाषा ही बदल दी। सफर था तो बतौर रिपोर्टर, लेकिन वापसी हुई एक खालीपन, एक उदासी और एक इंतजार के साथ। यह इंतजार बाद में एक उपन्यास के रूप में सामने आया ‘6.9 रिक्टर स्केल’। सन् 2001 में अमेरिका जाकर पत्रकारिता का मौका मिला I 11 सितंबर, 2001 को न्यूयॉर्क में ट्विन टावर को ध्वस्त होते और 10 हजार जिंदगियों को शव में बदलते देखने का दुर्भाग्य अवसर मिला जिसकी रिपोर्टिंग संजयसिन्हा ने किया। टेक्सास के आसमान से कोलंबिया स्पेस शटल को मलबा बनते देखना भी इन्हीं बदनसीब आँखों के हिस्से आया। इनकी पत्रकारिता का सफर बदस्तूर जारी है I पत्रकारिता के क्षेत्र के साथ-साथ साहित्य और सामाजिक कार्यों में भी सफर अनवरत जारी है I

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