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भाले सुलतान शहीद स्मारक पर अमर सपूतों को भाले सुलतान क्षत्रियों ने श्रद्धांजलि

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REPORT BY NEERAJ K SINGH / HINDESH SINGH 

AMETHI NEWS। 

स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में देश के सपूतों ने अपनी जान तक न्यौछावर कर दिया। इसी तरह का इतिहास जिले मे
भाले सुलतानी क्षत्रियों का भी मिलता है । जिन्होंने 1857 में आजादी के पहले आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ बिगुल फूंकते अंग्रेजों से लड़ाई की और मुसाफिर खाना के कादूनाला पर उनकी सेना के दांत खट्टे कर दिए।

उनकी सेना को भारी नुकसान पहुंचा दिया हज़ारों सैनिकों को मार डाला। इस युद्ध में 600 भाले सुलतान क्षत्रियों ने माँ भारती के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। हर साल की तरह इस बार भी भालेसुलतान शहीद स्मारक कादूनाला (मुसाफिरखाना) पर स्वतंत्रता संग्राम के अमर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

हवन पूजन कर शहीदों को किया याद

कादूनाला पर बने स्मारक पर आज हवन पूजन व पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर भाले सुलतान क्षत्रिय कल्याण समिति के अध्यक्ष राय भानुप्रताप सिंह,रवींद्र प्रताप सिंह,शिवदयाल सिंह,अवधेश सिंह,हिन्देश सिंह,शेषनाथ सिंह,प्रदीप सिंह,सुरेश सिंह,मुकेश सिंह,काली बक्स सिंह,संतशरण सिंह,जगवंत सिंह,रघुनंदन सिंह सहित काफी संख्या में भालेसुलतान क्षत्रिय मौजूद रहे।

कादूनाला शहीद स्मारक का इतिहास

देश को अंग्रेजी हुकूमत से आजाद करने वाले अमेठी के जिस क्षेत्र की हम बात कर रहे हैं. वह क्षेत्र अमेठी के मुसाफिरखाना तहसील क्षेत्र से करीब 5 किलोमीटर दूर लखनऊ हाईवे मार्ग पर स्थित है। इस कादूनाला वनस्थली का वर्षों पुराना इतिहास है।

कहा जाता है कि जब अंग्रेजी हुकूमत के प्रमुख जर्नल डायर फैक्स की अगुवाई में फौजी तेजी से आगे बढ़ रही थी और लगातार लोगों को सताया जा रहा था । तब ऐसे में गुलामी की जंजीरों से बचाने के लिए राजा बेनी माधव सिंह की अगुवाई में सर्व समाज के लोगों ने अंग्रेजों से मोर्चा संभाल लिया।

इतिहास के पन्नों पर लिखी सात-आठ व नौ मार्च 1858 की तारीख अपनों के खून से लिखी बलिदान की कहानी मानो आज भी उन दिनों को ताजा कर रही है। कादूनाला के दक्षिणी भाग में स्थित तेलिया बुर्ज का बीहड़ टीला वीर भाले सुल्तानियों की बैठक की गवाही दे रहा है। इन्हीं बीहड़ों की ओट में छिपकर रणबांकुरों ने अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लिया था।

जनरल फ्रैंक्स के नेतृत्व में फिरंगी फौज पुल के रास्ते टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडीनुमा रास्ते पर बढ़ती चली आ रही थी। चांदा तक अंग्रेजों का कब्जा हो चुका था, लेकिन यहा पहुंचते ही फिरंगियों को राजपूतों ने संग्राम के लिए ललकारा और भाले सुल्तानी इस बात पर अडिग थे कि मरते दम तक उन्हें अंग्रेजों की दासतां स्वीकार नहीं होगी।

कादूनाला पुल के एक ओर अंग्रेजी फौज खड़ी और उस पार राजपूत सेना की अगुवाई करते बाबू महमद हसन खां मोर्चा संभाले हुए थे। 15 हजार सैनिकों ने तीन दिनों तक अंग्रेजों की सेना से डटकर मुकाबला किया था। हालाकि, तीसरे दिन अपनों के धोखे के चलते रणबांकुरे वीरगति को प्राप्त हुए।

जंग-ए आजादी का गवाह रणबांकुरों की जंग के साक्षी कादूनाला स्थित कुएं मे ही फिरंगियों ने मिर्च भरकर फायर कर दिया, जिससे रणबाकुरे एक-एक कर कुएं में गिरने लगे। सुल्तानपुर गजेटियर के अनुसार इस लड़ाई में 600 क्रातिकारी शहीद हुए थे।

भाले सुलतान स्मारक थाना की स्थापना

सांसद व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 28 दिसंबर 2023 को वारिसगंज चौकी में संचालित भाले सुल्तान शहीद स्मारक थाने का फीता काटकर औपचारिक उद्घाटन किया था। इसके साथ ही थाने की औपचारिक शुरुआत हो गई। नए थाने में 29 राजस्व गांवों को शामिल किया गया है।

मुसाफिरखाना सर्किल क्षेत्र में मुसाफिरखाना कोतवाली और जगदीशपुर थाने के 29 राजस्व गांवों को मिला कर जनपद के 19वें नए थाने के रूप में भाले सुल्तान शहीद स्मारक थाने की स्थापना की गई है। इस थाने में 29 राजस्व गांवों को शामिल किया गया है।

वीर भाले सुल्तानी वनस्थली का निर्माण

जिले में स्थित एकमात्र वेटलैंड कादूनाला इको पार्क को वीर भाले सुल्तानी वनस्थली के नाम से जाना जाता है I इसका निर्माण शहीद स्मारक के निकट ही किया गया है।इस पार्क का विकास नमामि गंगे योजना के तहत किया गया है ।40 एकड़ में बने इस वनस्थली में सैलानियों के लिए अनेक आकर्षण के केंद्र बनाए गए हैं ।

वनस्थली में अनेक प्रकार के विलुप्त हो गए पौधों को भी रोपित किया गया है। पार्क में सेल्फी प्वाइंट के साथ जल संरक्षण के लिए सुंदर सरोवर भी बनाए गए हैं। इतना ही नहीं बाहर से आने वाले सैलानियों के लिए गेस्ट हाउस भी बनाया गया है,जिसमें वो परिवार के साथ रात्रि विश्राम कर सकते हैं ।

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